10 साल की उम्र || 21 ग्रंथों के 3000 श्लोक कंठस्थ || अब विदेशों से भागवत कथा सुनाने का मिल रहा आमंत्रण || जानें कौन है यह बाल व्यास |
Bal Vyas Madhav Das Vrindavan || ईश्वर की कृपा अगर हो, तो इस संसार में बड़े से बड़े मुश्किल काम भी बेहद आसान हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ वृंदावन के एक बालक के साथ प्रत्यक्ष होते देखा जा सकता है। इस बालक को 10 साल की उम्र में ही 21 ग्रंथों के 3000 से अधिक श्लोक कंठस्थ हो गए हैं। वृंदावन के पवित्र धरती पर जन्म लेने वाले इस बालक का नाम माधव दास है। जिसे अब लोग बाल व्यास माधव दास के नाम से भी पहचानते हैं। संत प्रेमानंद भी इस बालक के कुशाग्र बुद्धि की बड़ाई करते नहीं थकते हैं।
ढाई साल की उम्र से सुनाने लगे श्लोक
ढाई साल की उम्र में आप किसी बच्चे से क्या अपेक्षा कर सकते हैं। मम्मी पापा कहना या कुछ कठिन शब्दों का ही उच्चारण कर सकता है। लेकिन बाल व्यास माधव दास ढाई साल की उम्र में ही कई ग्रंथों के श्लोक लोगों को सुना कर मंत्रमुग्ध करने लगे थे। बताया जाता है कि जब इस बालक का सामना महान संत प्रेमानंद से हुआ, तो वह भी इस बालक की तीक्ष्ण बुद्धि को देखकर चकित रह गए। आज इस बालक की उम्र 10 वर्ष हो चुकी है और इस बालक को अब विदेश से भागवत कथा कहने का न्यौता मिलने लगा है।
ईश्वर का चमत्कार मानता है परिवार
बाल व्यास माधव दास की कंप्यूटर से भी तेज बुद्धि और मेमोरी की अब देश से बाहर दुनिया के कई देशों में गूंज होने लगी है। परिवार के लोग इसे राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण का चमत्कार मानते हैं। बताते हैं कि बाल व्यास माधव दास को कई ग्रंथों के कठिन श्लोक कंठस्थ हैं। जब वह उन श्लोक का उच्चारण करते हैं तो बड़े से बड़े लोग भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। बाल व्यास माधव दास को कई देशों से भागवत कथा करने का आमंत्रण मिलने लगा है। इसके अलावा बाल व्यास माधव दास अन्य कार्यक्रमों के जरिए भी सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं।
2014 में बेहद गरीब परिवार में हुआ जन्म
बाल व्यास माधव दास का जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ है। उनके पिता पवन दुबे ने काफी गरीबी और परेशानी देखी है। बेटा जब ढाई साल का था तभी उसकी कुशाग्र बुद्धि को देखकर परिवार को इस बात का अहसास हो गया था कि यह बच्चा आगे चलकर कोई बड़ा काम करने वाला है। बाल व्यास का जन्म वर्ष 2014 में वृंदावन में हुआ है। उनके पिता के अनुसार माधव जब गर्भ में थे, तब उनकी मां ने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की थी। परिवार कहता है कि माधव दास पर राधा रानी और प्रभुपाद की बड़ी कृपा है। माधव दास को अब तमाम यूनिवर्सिटी और कॉलेज से लेक्चर के लिए बुलावा भी आता रहता है। वहीं लोग भी बालक माधव दास से मिलने के लिए आतुर रहते हैं। फिलहाल बाल व्यास माधव दास की पढ़ाई इस्कॉन वृन्दावन में चल रही है। माधव चार भाई बहनों में तीसरे नम्बर पर हैं।
गीता ज्ञान प्रसार करना है लक्ष्य
बाल व्यास माधव दास के जीवन का लक्ष्य गीता के ज्ञान का समस्त विश्व में प्रसार करना है। वह स्वयं अपने कार्यक्रमों में कहते हैं कि मैंने जो कुछ भी सीखा है वह ईश्वर की कृपा से है। राधा रानी का उनका आशीर्वाद है। तभी उन्हें तमाम ग्रंथों को पढ़ने का अवसर मिला। तभी इन ग्रंथों के श्लोक उन्हें कंठस्थ हो पाए। यह सब गुरु की कृपा से ही संभव हो पाया। वह कहते हैं कि आगे चलकर भागवताचार्य बनना चाहते हैं। ताकि देश दुनिया तक गीता का ज्ञान पहुंच सकें। Bal Vyas Madhav Das, Vrindavan, iskcon Vrindavan, बाल व्यास माधव दास, कंप्यूटर जैसा तेज दिमाग, भागवताचार्य, इस्कॉन वृन्दावन, संत प्रेमानंद
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